एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि अगर इस बिल को संसद से मंजूरी मिलती है तो भारत इजराइल बन जाएगा। धर्म के आधार पर किसी को नागरिकता देना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उधर, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी सना इल्तिजा जावेद ने भी बिल के विरोध में कहा- भारत में मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं। सरकार मुस्लिम समुदाय को कमजोर करना चाहती है।
केंद्रीय कैबिनेट से नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी मिल चुकी है और सरकार इसे 9 दिसंबर को संसद में पेश करेगी। इस बिल के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देने में आसानी होगी।
'नागरिकता बिल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ'
- ओवैसी ने कहा, ''सरकार इस बिल के जरिए भारत को धार्मिक देश बनाना चाहती है। इसके बाद भारत इजराइल जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाएगा, जो कि भेदभाव के लिए जाने जाते हैं। अगर पूर्वोत्तरी राज्यों को इससे छूट मिलने की खबरें सही हैं तो यह संविधान में मौलिक अधिकारों से जुड़े अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा, क्योंकि एक देश में नागरिकता से जुड़े दो कानून नहीं हो सकते हैं।''
- इल्तिजा ने महबूबा मुफ्ती के ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया, ''सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है। वे भारत में फैली मुस्लिमों की आबादी की स्थिति बदलना चाहते हैं। मुस्लिम समुदाय को कमजोर करना चाहते हैं ताकि वह देश में निचले दर्जे के नागरिक बनकर रह जाएं।''
- असम के कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा- ''एनआरसी में सरकार ने कई लोगों से अन्याय किया। 19 लाख बाहर हो गए। इनमें से बहुत से भारतीय हैं। अब सरकार इस विधेयक के जरिए असंवैधानिक तरीके से एनआरसी में छूटे गैर-मुस्लिमों को नागरिक बनाना चाहती है।''